Menu
blogid : 25268 postid : 1300605

देश की राजनीति की दु:खद स्थिति

राकेश कुमार आर्य
राकेश कुमार आर्य
  • 21 Posts
  • 22 Comments

इस समय भारतीय राजनीति अपने अध:पतन की अवस्था में है। देश के लोकतांत्रिक संस्थानों को खतरा है और लोकतांत्रिक मूल्य अपनी दयनीय अवस्था पर आंसू बहा रहे हैं। बात भाजपा से ही आरंभ की जाए तो इसका आचरण लोकसभा में ‘मैं जो चाहूं मेरी मर्जी’ वाला है। नोटबंदी पर विपक्ष को मौका देना या ना देना भाजपा संसद में अपना विशेषाधिकार मानती सी लगी है। पीएम मोदी को प्रारंभ में ही बागडोर अपने हाथ में लेनी चाहिए थी। संसद का कीमती समय और पूरा सत्र बेकार की बातों में और अनावश्यक गतिरोधों में बीत गया है, जिसके लिए भाजपा और पीएम मोदी भी जिम्मेदार हैं। इसके लिए देश के राष्ट्रपति और भाजपा के वयोवृद्घ नेता लालकृष्ण आडवाणी की पीड़ा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पर भाजपा ने ऐसा किया है। माना कि इस समय विपक्ष अपनी नकारात्मक और असहयोगी भूमिका में है, परंतु उसकी भूमिका को सही करने के लिए सरकार ने भी कुछ ठोस कार्य किया हो-यह भी नहीं कहा जा सकता।

विपक्ष की पीड़ा को और उसके ‘मन की बात’ को मोदी को समझना ही होगा, अन्यथा इतिहास उन्हें वैसे ही समीक्षित करेगा-जैसे कई मुद्दों पर आज नेहरू को लोग समीक्षित करते हैं। यह उचित नहीं कहा जा सकता कि भारत का प्रधानमंत्री विदेशों में भी अपने विपक्ष पर हमला बोले या उसके लिए तीखी बात कहें, माना कि पीएम दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, बसपा सुप्रीमो मायावती, उत्तर प्रदेश के एक मंत्री आजमखान और ऐसे ही कई अन्य नेताओं के ‘बिगड़े हुए बोलों’ का जवाब न देकर अपनी गरिमा और धैर्य का परिचय दे रहे हैं, परंतु उनसे यह भी अपेक्षा है कि वे संसद का कीमती समय नष्ट न हो इसके लिए विपक्ष का सहयोग और साथ लेने के लिए भी गंभीर दिखने चाहिए थे। अब अगस्ता में सोनिया गांधी को लपेटने की तैयारी है-हमारा इस पर भी यह कहना है कि यदि सोनिया वास्तव में इस प्रकरण में फंस रही हैं तो ही उन्हें फंसाया जाए, परंतु यदि बोफोर्स की भांति उन्हें केवल फंसाने के लिए फंसाया जा रहा है तो लोकतंत्र की मर्यादा का पालन आवश्यक है, अर्थात सरकार ऐसी परिस्थिति में अपने कदम पीछे हटाये।

अब कांग्रेस पर आते हैं। इसके वर्तमान नेता चाहे खडग़े हों या चाहे सोनिया अथवा मनमोहन हों, पर इन तीनों के बारे में यह सत्य है कि अब ये शरीर से चाहें संसद में बैठे हैं पर भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी की भांति अब ये तीनों ही बीते दिनों की बात हो चुके हैं। अब कांग्रेस में राहुल गांधी का युग है। यह दुख का विषय है कि कांग्रेस का यह युवा चेहरा देश के युवाओं को अपने साथ नही लगा पाया है। लोग इस चेहरे से निकलने वाले शब्दों को सुनते तो हैं पर उन्हें सुनकर उन पर हंस पड़ते हैं, अपेक्षित गंभीरता यदि राहुल में होती तो संसद की मर्यादाओं का इतना हनन नहीं होता जितना हमें देखने को मिल रहा है। वह कांग्रेस को संभालने की दिशा में कोई ठोस कार्य करते जान नहीं पड़ते। जिससे संसदीय लोकतंत्र पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। राहुल को चाहिए कि वह अपने पिता के नाना पंडित नेहरू के संसदीय आचरण को पढ़ें और उनकी लोकतंत्र के प्रति निष्ठा को भी अपनायें-तो कोई बात बने। अब शोर मचाते रहने से सत्ता में वापिसी हो जाने की आशा को पालना राहुल के लिए चील के घोंसलों में मांस ढूंढऩे वाली बात होगी। जहां तक देश के अन्य विपक्षी दलों की बात है तो उनकी भी स्थिति दयनीय है। शरद यादव जैसे लोग विपक्ष के पास है जिनके संसदीय आचरण को इन सभी में उच्च माना जाता रहा है। मुलायम सिंह यादव जैसे नेता भी विपक्ष के पास हैं, जिनकी उपस्थिति संसद का महत्व बढ़ाती है परन्तु ये दोनों नेता भी ‘भीष्म पितामह’ की भांति कभी विराट की गऊओं का हरण करने में दुर्योधन का साथ देते दीखते हैं तो कभी उचित समय पर मौन साध जाते हैं। इससे ममता को उत्पात मचाने और माया को उल्टा-सीधा बोलने का अवसर मिल जाता है। ये दोनों नेता सोच रहे हैं कि ‘मोदी का वध’ महिलाओं के हाथ ही करा दिया जाए। पर उन्हें याद रखना चाहिए कि ‘मोदी वध’ के लिए इन्हें किसी महिला की आवश्यकता न होकर किसी 56 इंची सीने वाले की आवश्यकता है। यह दुख का विषय है कि ये दोनों कृष्णवंशी नेता इस समय हथियार न उठाने की कसम खाये बैठे हैं। देखते हैं इन्हें अपने ‘सुदर्शन’ की कब याद आती है और आती भी है या नही? केवल हथियार उठाकर भागने से तो काम चलेगा नही-देश चिंतन के धरातल से निकलने वाले उन तीरों की अपेक्षा कर रहा है जो मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ की काट कर सकें। कुछ भी हो फिलहाल मोदी ने अपने इस नारे के चक्रव्यूह में विपक्ष के योद्घाओं को फंसा रखा है। विपक्ष को संभलना भी होगा और सुधरना भी होगा।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh